The smart Trick of Hindi poetry That Nobody is Discussing
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वीर सुतों के वर शीशों का हाथों में लेकर प्याला,
आने के ही साथ click here जगत में कहलाया 'जानेवाला',
बने पुजारी प्रेमी साकी, गंगाजल पावन हाला,
क्रूर, कठोर, कुटिल, कुविचारी, अन्यायी यमराजों के
दे ले, दे ले तू मुझको बस यह टूटा फूटा प्याला,
नहीं हुआ है अभी सवेरा, पूरब की लाली पहचान, चिड़ियों के जगने से पहले, खाट छोड़ उठ गया किसान,
किसमें कितना दम खम, इसको खूब समझती मधुशाला।।५६।
कल? कल पर विश्वास किया कब करता है पीनेवाला
दो दिन ही मधु मुझे पिलाकर ऊब उठी साकीबाला,
'किस पथ से जाऊँ?' असमंजस में है वह भोलाभाला,
घूँघट का पट खोल न जब तक झाँक रही है मधुशाला।।५२।
व्यर्थ मुझे दौड़ाती मरु में मृगजल बनकर मधुशाला।।९५।
एक तरह से सबका स्वागत करती है साकीबाला,
ठुकराया ठाकुरद्वारे ने देख हथेली पर प्याला,
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